इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी पासपोर्ट बनाने के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान को आंशिक राहत दी है। कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही अगली सुनवाई तक रामपुर की स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए में चल रही इस मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अब्दुल्ला आजम की अर्जी पर अधिवक्ता इमरान उल्लाह और अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव को सुनकर दिया है। अब्दुल्ला आजम ने याचिका दाखिल कर स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए के गत 19 मार्च के आदेश को चुनौती दी है। इस आदेश में स्पेशल कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के उस प्रार्थना पत्र, जिसमें कुछ वीडियो क्लिप, शादी के कार्ड आदि दस्तावेज की प्रमाणित प्रतिलिपि बचाव पक्ष की ओर से दाखिल किए जाने की इजाजत मांगी गई थी, को खारिज कर दिया था। स्पेशल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

 

अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ता इमरान उल्लाह का कहना था कि याची इस मामले में अभियुक्त है लेकिन उसे अपने बचाव में साक्ष्य देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। स्पेशल कोर्ट ने गत 10 जनवरी को याची का सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज किया था। गत 15 मार्च को याची की ओर से प्रार्थना पत्र देकर वीडियो क्लिपिंग, अब्दुल मतीन की शादी का कार्ड, जौहर दिवस की वीडियो रिकॉर्डिंग आदि तलब करने की मांग की थी। स्पेशल कोर्ट ने याची की अर्जी खारिज करते हुए मुकदमे का ट्रायल शुरू कर दिया। इससे बचाव पक्ष को अपने पक्ष में दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिल रहा है। इन दस्तावेजों को एक अन्य मामले में अदालत में दाखिल किया गया है, जिसमें याची को  सजा हो गईं है और उसके खिलाफ़ निगरानी हाईकोर्ट में लंबित है।

मूल रिकार्ड भी हाईकोर्ट आ चुका है इसलिए प्रमाणित प्रति देने के लिए कुछ समय दिए जाने का स्पेशल कोर्ट से अनुरोध किया था, जिसे स्पेशल कोर्ट में मंजूर नहीं किया है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखने के लिए समय की मांग की, जिसे मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। तब तक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ रामपुर की स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए में चल रही मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया है।

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